Big Change in EPS Pension Scheme: ईपीएफ और ईपीएस, दोनों ही भारत सरकार द्वारा चलायी जाने वाली सेवानिवृत्ति लाभ योजनाएं हैं। ईपीएफ (कर्मचारी भविष्य निधि) के तहत, कर्मचारी और कंपनी दोनों मिलकर 12% योगदान करते हैं। इसमें से 8.33% राशि कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) में जाती है, और 3.67% राशि ईपीएफ योजना में जमा होती है।
EPS-95 पेंशन योजना की स्थिति
वर्ष 2014 से, सरकार ने EPS के तहत न्यूनतम पेंशन 1000 रुपए प्रति माह निर्धारित की थी। हालांकि, कई वर्षों से पेंशनभोगी 7500 रुपए प्रति माह की न्यूनतम पेंशन की मांग कर रहे हैं। इस मांग को लेकर कर्मचारियों ने कई बार EPFO और सरकार से अनुरोध किया है, लेकिन अब तक कोई ठोस जवाब नहीं मिला है।
हालिया विरोध प्रदर्शन
कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) राष्ट्रीय आंदोलन समिति ने हाल ही में दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक बड़ा विरोध प्रदर्शन आयोजित किया। इस प्रदर्शन में समिति ने सरकार से EPS पेंशन की न्यूनतम सीमा 7500 रुपए प्रति माह करने की मांग की। समिति का कहना है कि वर्तमान में लगभग 7.8 लाख पेंशनभोगियों को 1000 रुपए से भी कम मासिक पेंशन मिलती है, जो उनके जीवन यापन के लिए अपर्याप्त है।
समिति के अध्यक्ष अशोक राउत ने कहा कि वर्तमान में पेंशनभोगियों को औसतन 1450 रुपए प्रति माह मिलते हैं, जबकि 36 लाख पेंशनभोगियों को 1000 रुपए से भी कम पेंशन मिल रही है। उन्होंने कहा कि नियमित योगदान के बावजूद, पेंशनभोगियों को इतनी कम पेंशन मिल रही है कि यह एक बुजुर्ग दंपत्ति के जीवन यापन के लिए भी पर्याप्त नहीं है।
EPS और EPF में अंतर
ईपीएफ (EPF) और ईपीएस (EPS) दोनों ही सेवानिवृत्ति लाभ योजनाएं हैं, लेकिन इनमें अंतर है। ईपीएफ में कर्मचारी और कंपनी दोनों मिलकर योगदान करते हैं, जबकि EPS में कर्मचारी के योगदान के बिना ही पेंशन मिलती है।
समिति के राष्ट्रीय जनरल सेक्रेटरी वीरेंद्र सिंह ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी है कि वे कर्मचारियों की पेंशन की मासिक सीमा को कम से कम 7500 रुपए सुनिश्चित करें। उनका कहना है कि जब तक सरकार उनकी सभी मांगों को पूरा नहीं करती, उनका संघर्ष जारी रहेगा।
इस प्रकार, EPS-95 पेंशन योजना में न्यूनतम पेंशन बढ़ाने की मांग को लेकर कर्मचारियों का संघर्ष लगातार जारी है। उन्हें आशा है कि सरकार जल्द ही इस मुद्दे पर ध्यान देगी और उचित निर्णय लेगी।